Not known Facts About Hindi poetry

जीवन पाकर मानव पीकर मस्त रहे, इस कारण ही,

गिरती जाती है दिन प्रतिदन प्रणयनी प्राणों की हाला

यम ले चलता है मुझको तो, चलने दे लेकर हाला,

रंक राव में भेद हुआ है कभी नहीं मदिरालय में,

दे मुझको वो कान्धा जिनके पग मद डगमग होते हों

भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,

पढ़े मर्सिया दुनिया सारी, ईद मनाती मधुशाला।।२५।

जगती के ठंडे प्याले सा पथिक, नहीं मेरा प्याला,

चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला!

सिंधँु-तृषा दी किसने रचकर बिंदु-बराबर मधुशाला।।६८।

मैंने देखा है अभी अभी उसने बिक्रम के प्राण लिए जल्दी बोलो क्या करना है घनघोर घटा घिर जाएगी छिन गया उदय हाथों से यदि मुख पर कालिख लग जाएगी

स्वागत के ही साथ विदा की होती देखी तैयारी,

u see We have now a lot of school college students who extravagant by themselves in hindi poem crafting...they don't publish it bcoz of not enough opportunity or just Hindi poetry bcoz they come to feel itis just timepass. because they mature up and be part of Work the creativeness is stifled through the rigors of existence. Rahul

मेरे शव के पीछे चलने वालों याद इसे रखना

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